जानिए, अमोनिया युक्त पानी पीना सेहत के लिए कितना नुकसानदायक होता है?

जानिए, अमोनिया युक्त पानी पीना सेहत के लिए कितना नुकसानदायक होता है?

सेहतराग टीम

सेहत अच्छी बनानी है तो साफ पानी पीना चाहिए। क्योंकि पानी सेहत को बेहतर बनाने में काफी अहम भुमिका निभाता है। वहीं अगर आप अमोनिया युक्त पानी पी रहे हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि अगर आपके पानी में अमोनिया की मात्रा ज्यादा है तो वो आपके शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। आपको बता दें कि अमोनिया एक गैस है जो रासायनिक उत्पादों और उर्वरकों में पाई जाती है। मानव शरीर में भी अमोनिया पाया जाता है, लेकिन इसका स्तर निम्न होता है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो अमोनिया और अमोनियम लवण का उपयोग घटकों को साफ करने और खाद्य योजक के रूप में किया जाता है। जबकि अमोनियम क्लोराइड का उपयोग मूत्रवर्धक (मूत्रवध॔क औषधि) के रूप में किया जाता है।

अमोनिया-युक्त पानी पीना कितना खतरनाक है

विशेषज्ञों की मानें तो शुद्ध और साफ़ पानी में अमोनिया नहीं पाया जाता है। पानी में अमोनिया होने के कारण हैं। इनमें जीवाश्म ईंधन जलाना, डाई यूनिट, डिस्टिलरी और अन्य फैक्ट्रियां, सीवेज प्रमुख हैं। अमोनिया का उपयोग एक औद्योगिक रसायन के रूप में किया जाता है। यह औद्योगिक अपशिष्टों से होकर जमीन या जल स्रोतों के माध्यम से लोगों तक पहुंचता है।

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स की मानें तो पानी में अमोनिया की मात्रा 0.5 पीपीएम से अधिक नहीं होनी चाहिए। अगर पानी में इसका स्तर बढ़ता है, तो पानी पीने योग्य नहीं रह जाता है। इससे सेहत पर बुरा असर पड़ता है। आमतौर पर मानव मूत्र के जरिए अमोनिया उत्सर्जित करता है, क्योंकि जब प्रोटीन ठोस अवस्था से टूटकर यौगिक में बदलता है, तो यह यूरिन के माध्यम से बाहर निकलता है। हालांकि, अमोनिया कैंसरकारी नहीं है। इसके बावजूद अमोनिया से सेहत पर बुरा असर पड़ता है। अगर पानी में अमोनिया का स्तर 1 पीपीएम से कम होता है, तो यह मछली और अन्य जल जीवों के खतरनाक साबित होता है।

अमोनिया के नुकसान

अमोनिया युक्त पानी पीने से बुखार, खांसी, छाती में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, सिर चकराना, गंभीर पेट दर्द, सांस लेने मे तकलीफ, होंठ में सूजन, चलने में कठिनाई, बेचैनी और अस्थायी अंधापन की शिकायत हो सकती है।

पानी में अमोनिया स्तर कैसे मापें

  • पानी का स्वाद बेकार हो जाता है।
  • पानी से बदबू आना।
  • पानी में छोटे-छोटे दूषित कण होना।
  • पानी में क्लोरीन का निम्न स्तर होना।
  • पानी में पीएच का कम होना।

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